...

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Meri dil ki ye baate .
कुछ कहो तो वो
शायद एक सीधी से बात है,

कुछ लिखो तो वो
शायद एक कवि की कल्पना का ताज है,

मेरे दिल में बसी है ऐसी
शायद जन्मों का यह साथ है,

पर असल में अपना तो
कुछ किस्सों का ही साथ है,

अगर वह सुबह की खेलती हुई किरण है,
तो मैं रात की चांदनी में ढूंढता हुआ बेबस सा
मुसाफिर हूं,

अरसा सा हो गया उसे देखे हुए
पर जितनी भी हद है वह अभी मेरे साथ है,

बात बस इतनी है कि अब
यह दिल बेखबर है कि
मैं एक अजनबी सा राही हूं,
उसके सफर में
बस सिर्फ अगले मोड़ से मुझे उसे
अलविदा कहना है उसकी राहों को
भी और उसकी यादों को भी........

© Rajvi .