...

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दर्द-ए-दिल का हाल
सम्हाल कर चलना सीख लिया है,
अब दुनिया वालों से दिल नहीं लगाता हूँ,
बात कहने की होती है, तभी बोलता हूँ,
ना बोल कर सुकून से चुप हो जाता हूँ,
मेरे सीने में जो दिल है बड़ा नाज़ुक है,
वो अक्सर रोने पर मजबूर कर देता है,
उसे भी यही समझाता हूँ, चल कोई नहीं है
इस दुनियां में अपना, कल मरने से आज मर-
जायेंगे, सुकून से अपने रब के पास वापस लौट कर चले जाएंगे।
© SHezo_Writes