《AANKHO KA ANDHERA》
जिक्र क्या करँऊ इन रातों का,
सबने देखा ही तो है......
देखते सभी तारों को ; जबकी
अँधेरी रात भी तो है ।।
जलाऊँ क्या इन दियों को
सब जले हुए तो हैं.......
देखते सभी चमकती लौ को;जबकी
अँधेरा उसके नीचे ही तो है ।।
दूसरों के चरित्रनिर्माण के पहले
ये सोचना भी तो है......
क्या बीत रही उस शख्स पर
ये सोचना भी तो है ।।
कायर कहती ये दुनिया उसे
जो हार गया जिदंगी से है...
बोलने वालो ने देखा तो नहीं
उसने भी लड़ाई की तो है ।।
♡ -- rajnandani
*******
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सबने देखा ही तो है......
देखते सभी तारों को ; जबकी
अँधेरी रात भी तो है ।।
जलाऊँ क्या इन दियों को
सब जले हुए तो हैं.......
देखते सभी चमकती लौ को;जबकी
अँधेरा उसके नीचे ही तो है ।।
दूसरों के चरित्रनिर्माण के पहले
ये सोचना भी तो है......
क्या बीत रही उस शख्स पर
ये सोचना भी तो है ।।
कायर कहती ये दुनिया उसे
जो हार गया जिदंगी से है...
बोलने वालो ने देखा तो नहीं
उसने भी लड़ाई की तो है ।।
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