जलाना चाहते हैं
#मशाल
फिर नज़दीक आना चाहते हैं
गोया के हमें रुलाना चाहते हैं
नज़रों से गिराया था कभी हमें
आज दिल में बिठाना चाहते हैं
पलकों में चुभते है जो अजनबी से
वो चश्म-ए-नम सहलाना चाहते हैं
जिनसे निभाना मुश्किल था
वो फिर रिश्ता बनाना चाहते हैं
बेवजह थीं जब शिकायतें मेरी
तो अब क्यों गौर फ़रमाना चाहते हैं
है हाथ में मशाल उनके “मनी”
फिर तेरे ख़्वाब जलाना चाहते हैं।
©️डॉ.मनीषा मनी
© Dr.Manishaa Mani
फिर नज़दीक आना चाहते हैं
गोया के हमें रुलाना चाहते हैं
नज़रों से गिराया था कभी हमें
आज दिल में बिठाना चाहते हैं
पलकों में चुभते है जो अजनबी से
वो चश्म-ए-नम सहलाना चाहते हैं
जिनसे निभाना मुश्किल था
वो फिर रिश्ता बनाना चाहते हैं
बेवजह थीं जब शिकायतें मेरी
तो अब क्यों गौर फ़रमाना चाहते हैं
है हाथ में मशाल उनके “मनी”
फिर तेरे ख़्वाब जलाना चाहते हैं।
©️डॉ.मनीषा मनी
© Dr.Manishaa Mani