...

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समाज
पैदा होते ही बच्चे को जातियों में
बांट देता है समाज ,
चाहत की इच्छाओं को
मार देता है समाज ,
गोरे रंग के लिए
बच्चे की मुसकान को
मिटा देता है समाज ,
उसकी सोचने की क्षमता को
बेडियो में
बांध देता है समाज ,
उसके उज्जवल भविष्य को
मिटा देता है समाज ,
वाह रे! समाज
क्या सोच है तेरी।
रंग, जाति और धर्म
ये उत्पत्ति है तेरी।
लेकिन है ऊपर तुझसे भी कुछ,
वो है मानवता का गुण।
~Natish Sangwan
#WritcoAnthology