मेरे दादी का सत्संग वाला प्रेम
जिन्दगी से आज भी दादी मां भीख मांग रही हैं।
बस एक एक अरसा जोड़ो हुए बैठी हुई है।
आज भी राम के नाम का माला जप करती हैं।
मुझे कुछ और वक्त चाहिए मेरे परिवार के खातिर के लिए।
अगाध प्रेम उनसे समर्पण के लिए आज भी पूछा करता है।
मेरे प्रेम का बंधन में बंधे बाल्कन...
बस एक एक अरसा जोड़ो हुए बैठी हुई है।
आज भी राम के नाम का माला जप करती हैं।
मुझे कुछ और वक्त चाहिए मेरे परिवार के खातिर के लिए।
अगाध प्रेम उनसे समर्पण के लिए आज भी पूछा करता है।
मेरे प्रेम का बंधन में बंधे बाल्कन...