...

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यादें
बहुत रोए ,बहुत तड़पे, बहुत सिसके है रातों में ;
आहत किया है कुछ ऐसे ,तेरी कुछ कड़वी बातों ने;

बहुत सोचा ,बहुत समझा ,तेरे हर सितम के बारे में ;
आया याद न मुझको एक भी, करम तेरा उन यादों में;

कुचल के जाना तेरा ,मेरे मासूम अरमानों को;
औ मेरा भीगी पलकों से ,तकना तेरी राहों को;

न जाने गलती थी क्या मेरी,जो पलटे ना तुम एक पल भी ;
ना देखा तुमने मुझको बिखरते भी,न समेटा बढ के बाहों में;

मेरा अपनों से लड़ जाना, कभी दुनिया को समझना ;
कभी खुद को भी समझना ,तुमको ही ठीक ठहराना;

समझा हमेशा तुमको मैं ने ,सुख में भी दुख में भी ;
समझा तूने...