...

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तू नहीं तेरा खयाल ही सही
दिन बीत जाता है तुझे पढते पढते
रात गुजर जाती है तुझे लिखते लिखते
तू नहीं आती तेरा खयाल आता है
जीने का यही तरीका अब मुझे रास आता है
तू नहीं तेरा खयाल ही सही
जो मेरा साथ तो निभाता है
जाता नहीं मुझे छोड कर अब कहीं भी
मेरे दिल में ही रहे जाता है
खयालों ने तेरी इक तस्वीर बनाई है
तेरे खयालों ने वफा निभाई है
रातों में जब कभी भी नींद आई है
ख्वाबों में तेरी ही तस्वीर दिखाई है
तू नहीं तेरा खयाल ही सही
ये जिंदगी मुझे अब रास आई है