...

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aurat... kaun samjha tere mann ko..
एक स्त्री के मन का इतिहास,
कौन समझेगा उसकी आवाज।

बीतते जीवन की उलझनों में,
कौन सहेगा उसका दुःख-संवाद।

वह जीती है अपने सपनों का जहां,
पर क्या कोई देखेगा उसके अरमान।

कर्तव्यों का बोझ, जिम्मेदारियों की बंधन,
कौन समझेगा उसकी अन्तर्द्वंद्व।

प्यार की भावनाओं से भरी,
कौन समझेगा उसकी प्रेम रेखाएं।

जीवन के साथी, उसके ख्वाबों का साक्षी,
कौन समझेगा उसकी अद्भुत गाथा।

एक स्त्री के मन का इतिहास,
कौन समझेगा, कौन समझाएगा,
सोचो, क्या हो सकता है उसका हाल...!!!
© dil ki kalam se.. "paalu"