धर्म और वर्ण....
गीता का जो उपदेश है ,
कर्म ही धर्म का सन्देश है।
तो क्यूँ चार वर्ण हैं ;
क्यूँ फैला ये द्वेष है।।
धर्म और अधर्म की,
बुनियाद ही अगर कर्म है ;
तो क्यूँ वर्ण का निर्धारण करता जन्म है....?
गीता सा जो उपदेश देता ,
ग्वाला वो ब्रज का।
यादव है जात उसकी ;
ब्राह्मण से निपुण था।।
चन्द्रगुप्त के पिता ना,
ना कोई जात उनकी।
चक्रवर्ती राजा था ,
चाड़क्य ने रची कथा जिनकी ।
योद्धा क्षत्रियों से...
कर्म ही धर्म का सन्देश है।
तो क्यूँ चार वर्ण हैं ;
क्यूँ फैला ये द्वेष है।।
धर्म और अधर्म की,
बुनियाद ही अगर कर्म है ;
तो क्यूँ वर्ण का निर्धारण करता जन्म है....?
गीता सा जो उपदेश देता ,
ग्वाला वो ब्रज का।
यादव है जात उसकी ;
ब्राह्मण से निपुण था।।
चन्द्रगुप्त के पिता ना,
ना कोई जात उनकी।
चक्रवर्ती राजा था ,
चाड़क्य ने रची कथा जिनकी ।
योद्धा क्षत्रियों से...