क्यूँ फर्क छोरा और छोरी मैं ?
बेरा ना ईसा के होग्या, जो छोरा और छोरी मैं फर्क करैं स
भाई भी स डरपोक, और बाबू भी ,छोरी की इज़्ज़त त डरें स
बचपन मै मोह और जवानी मैं, क्यों डर स बेटी त
बेरा ना बोझ क्यूँ स, रामकी गाय स,अपने हिस्से का चरै स
अरे मन के होगे काले इनकी नियत खोटी होगी
अरे भूल बैठे नाते रिस्ते, घणी सोच छोटी होगी
अरे लागै स डर अपणी भाहण की इज्जत का इतना
वा भी तो किसे की भाहण होगी, जिस्तै तू बलात्कार करै स ।।...
भाई भी स डरपोक, और बाबू भी ,छोरी की इज़्ज़त त डरें स
बचपन मै मोह और जवानी मैं, क्यों डर स बेटी त
बेरा ना बोझ क्यूँ स, रामकी गाय स,अपने हिस्से का चरै स
अरे मन के होगे काले इनकी नियत खोटी होगी
अरे भूल बैठे नाते रिस्ते, घणी सोच छोटी होगी
अरे लागै स डर अपणी भाहण की इज्जत का इतना
वा भी तो किसे की भाहण होगी, जिस्तै तू बलात्कार करै स ।।...