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कोरोना काव्य :
कैसा यह करोना दुनिया पर छाया
वैज्ञानिकों का सर भी है चकराया
जाने कहाँ से है यह विषाणु आया
नजाने कितनों को अपना शिकार बनाया

कैसी है यह लाइलाज बीमारी
जो बन गई है पूरे विश्व की महामारी
है यह अब तक की सबसे खूँखार शिकारी
जो है ना देखती कौन नर और कौन नारी

इसकी नहीं बनी कोई दवा
ना है कोई इलाज अभी
लोगों से बनाए रखना दूरी ही
है इसका उपचार सहीं

किसी से मिलना हो तो
उनसे हाँथ मिलाना मत
हाँथ जोड़ लो चाहे
लेकिन गले लगाना मत

छूने से फैलती है
यह बीमारी ऐसी है
न कर पाओगे कुछ
हो जाती लाचारी ऐसी है

बाहर निकल कर क्या करोगे
घर पर ही आराम करो
बेचैनी हो या सर दर्द
घर से अपना काम करो
उसूलों की बेड़ियों से बाँध खुद को घर पर रहो
चाहे कोरोना से डरो, या कोरोना से लड़ो...!!!

©अkshर