वक़्त के साथ कहावतों के फेर-बदल जाते है
वक़्त के साथ शब्दों के मतलब ही बदल जाते है
यूं ही नहीं पुरानी कहावतों के फेर-बदल जाते है
देखते-ही-देखते विचारों का मसला यूं होने लगा
वक़्त का हिसाब किताब भी उथल-पुथल जाते है
किताबों में शब्दों के मिज़ाज आज कुछ ओर ही
वो मायने ना जाने क्यों हद से इतने बढ़ जाते है
कहावतों में छुपी अनुभवों की निशानी खो रही है
वो पुराने शब्द आज लबों पे आकर भी टल जाते है
नए ज़माने...
यूं ही नहीं पुरानी कहावतों के फेर-बदल जाते है
देखते-ही-देखते विचारों का मसला यूं होने लगा
वक़्त का हिसाब किताब भी उथल-पुथल जाते है
किताबों में शब्दों के मिज़ाज आज कुछ ओर ही
वो मायने ना जाने क्यों हद से इतने बढ़ जाते है
कहावतों में छुपी अनुभवों की निशानी खो रही है
वो पुराने शब्द आज लबों पे आकर भी टल जाते है
नए ज़माने...