तुम बिल्कुल जुलाई की बरसात जैसी हो
पेड़ों से टपकती बूंद, खामोश रात जैसी हो
तुम बिल्कुल, जुलाई की बरसात जैसी हो
कोरे कागज़ पर लिखा दिल खोल कर मैंने
तुम हुबहू उसी खत...
तुम बिल्कुल, जुलाई की बरसात जैसी हो
कोरे कागज़ पर लिखा दिल खोल कर मैंने
तुम हुबहू उसी खत...