...

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रूही
है मेरी खुशकिस्मती
कि मेरे पास है एक दोस्त सादगी से भरी
भोली सी प्यारी सी
लगती बड़ी न्यारी सी
सांवली सलौनी सी
आँखे जिसकी मनमोहनी सी
नाम है उसका रूही
बातें जिसकी हमेशा मेरे दिल को छूई
हमारा 9th क्लास में पहली बार मिलना
फिर हमारी दोस्ती का खिलना
फिर तेरा अलीगढ़ जाना
दिल को मेरे झटका दे जाना
हमारे बीच दूरियों का होना
पर प्यार का कम ना होना
जब होता था तेरा साथ
अलग ही थी उसकी बात
आंखो से समझना मेरे दिल के जज़्बात
या बिन मांगे...