...

3 views

चाँद की थी शादी
चाँद की थी शादी
तारे बने थे बराती
मूसलाधार हुई बारिश
बराती भी जाने कहाँ खो गए
चाँद को भी अचम्भा था
ये उसके साथ क्या हो रहा
अपने आप से हैरान परेशान
ईश्वर से बातें करता दिख रहा
चाहते क्या हो
एक बार तो बता दो
घोर अँधेरी रात में जुगनुओं ने थी
टॉर्च दिखाई ये कौन एक कोने में
पढ़ा सो रहा
जुगनू की टॉर्च से चाँद की आँखे
चौन्धिया गईं उठ बैठा चाँद
ये किसने है दस्तख दी
मेरी आभा के आड़े कौन है आया
जिसने मुझे काली चादर से हटा
खुद की रौशनी थी दिखाई
ये तो सुक्ष्म जीव किटाणु हैं
मैनें भी उनसे पूछ लिया
कहो कैसे आना हुआ
जुगनू बोला तेरी हालत देख के मैं आया हूँ
लोरी गा कर तुझे सुलाने आया हूँ
मेरी घूं घूं की आवाज़ तुझे मीठी नींद सुलाएगी
चाँद एक टक जुगनू को देख रहा
जाने कब पलके बन्द
जुगनुओं से बातें करते करते सो गए
राजा रानी के किस्से भी खत्म हो गए
लम्बी सी इस रात में हम भी
सुबह होते होते
चाँद से बातें करते करते
न जाने कहाँ खो गए
जुगनू ही तो थे अपनी थोड़ी सी चमक से ही
किसी का जीवन रौशन कर गए
चाँद ने कब सूर्य का रूप धर लिया
उसे पता भी न चला
प्रातः की बेला ने कब उसकी
काली चादर खींच ली
खुले आसमाँ में उसने अपने आपको
पंछियों की चहचहाहट प्रकृति की
अद्दभुत छटा में अपनी
किरणों की चादर फैला
अपने महत्व को समझाते पाया
ये छोटा सा जुगनू क्या काम कर गया
धैर्य सन्तोष ईश्वर पे विश्वास से
सभी कुछ मिलता है
ये बातें मुझे छोटा सा जुगनू सिखा गया
ये बातें मुझे छोटा सा जुगनू सिखा गया
© Manju Pandey Choubey