...

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मेरा शहर
मैं ऐसे शहर में रहतीं हूं जहां मुक्ति मिलती है बुद्धि मिलती है वैराग्य मिलता है
ये शहर सबका है पर इस शहर का कोई नहीं इसके कण कण में शिव और शक्ति विराजमान हैं
यहां तंत्र भी है और मंत्र भी है
इस शहर में कोई ज्यादा देर तक ठहर नहीं पाता
यहां गंगा स्वयं शिव के दर्शन के लिए आतीं हैं
पर अब जाना होगा अपने शहर को छोड़ एक नये शहर में नई दुनिया बसाने नये लोगों से मिलने
पर झिन जायेगा मेरा शहर मेरी गलियां मिलेगी तरक्की खुशी मगर छिन जायेगा शुकून और बेफिकरी
नये शहर के खाने में मैं ढूंढूंगी अपने शहर का स्वाद
नये शहर के एकांत में ढूंढने की कोशिश करूंगी अपने शहर का शोर
पर मिल पायेंगे क्या ये दोस्त यार और परिवार उस नये शहर में
मैं सिर्फ अपना शहर नहीं सब कुछ खो कर जा रही हूं नये शहर में तरक्की और बुलंदियों को छुने
नये शहर में जीत के लिए छोड़ जा रही हूं अपना शहर अपनी दुनिया
छुट्टियों में वापस आकर भी मेहमान बनकर रह जाऊंगी अपने शहर में ही
पर हां जितना प्यार मैं अपने शहर को करतीं हूं उतना किसी और शहर से नहीं कर पाऊंगी
© freedom