...

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असमंजस
#WorldPoetryDay

आधा जीवन जीने के बाद
सोचता रहा हूं
क्या लिखना हैं
वही जो खोया हैं
या पाया हैं
आधा जीवन जीने के बाद
सोचता हूं
सच लिखूं
या फिर
उल्फत लिखूं पर
लिखना होगा एक दिन
ज़िन्दगी के अल्फाज़ो को
उन चीखती आवाज़ों को
जो चीख रही हैं
अब तक या को लिखूं
या आधा जीवन जीने के बाद
क्या ज़िन्दगी का आने वाला कल लिखूं



© DEEPAK BUNELA