tum ek khwab
सुब्ह का आफताब लगती हो
तुम मुझे इक गुलाब लगती हो
कितनी प्यारी हो ये हिसाब नहीं
बस ये है बेहिसाब लगती हो
छांव लगती हो धूप में आकर
और प्यासे को...
तुम मुझे इक गुलाब लगती हो
कितनी प्यारी हो ये हिसाब नहीं
बस ये है बेहिसाब लगती हो
छांव लगती हो धूप में आकर
और प्यासे को...