"पंछी" और "दीप"
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
पर से चला गया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
घर से चला गया
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
फड़फड़ा कर गिर गया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
लड़खड़ा कर गिर गया
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
फिर उड़ नही पाया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
फिर मुड़ नही पाया
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
किस्मत में लिखा बुरा था
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
लगा पीढ़ पर छुरा था
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
धरती पर पहुंच गया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
अर्थी पर पहुंच गया
दोनों मिले इक दूजे से फिर
फिर दोनों में बात हुई
"दीप" बोला चलो बताओ
कहां से ये शुरुआत हुई
"पंछी" बोला दाना चुनने
निकला जैसे ही घोंसले से
मेरे अपने पंछी दोस्त ने
चोंच मारी बड़े हौंसले से
तुम बताओ "दीप" मुझे
ये वक्त क्यों इतना बुरा है...
पर से चला गया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
घर से चला गया
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
फड़फड़ा कर गिर गया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
लड़खड़ा कर गिर गया
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
फिर उड़ नही पाया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
फिर मुड़ नही पाया
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
किस्मत में लिखा बुरा था
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
लगा पीढ़ पर छुरा था
आसमान पकड़ने निकला "पंछी"
धरती पर पहुंच गया
मंजिल ढूंढने निकला "दीप"
अर्थी पर पहुंच गया
दोनों मिले इक दूजे से फिर
फिर दोनों में बात हुई
"दीप" बोला चलो बताओ
कहां से ये शुरुआत हुई
"पंछी" बोला दाना चुनने
निकला जैसे ही घोंसले से
मेरे अपने पंछी दोस्त ने
चोंच मारी बड़े हौंसले से
तुम बताओ "दीप" मुझे
ये वक्त क्यों इतना बुरा है...