...

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निर्भया को न्याय
दिल को दहलाने वाली
वह काली रात अँधेरी थी
घनी झाड़ियों के बीच में
निर्भया तू बेहोश पड़ी थी,
तेरी हालत ऐसी थी निर्भया
हर आँखे नम हो आई थी
तू मौत के मुँह में चली गई, तब
देश की हर एक बेटी रोईं थी,
कैसी ये अनहोनी घटना
इस देश मे हो आई थी,
ना तूने कोई अपराध किया था
ना किसी पर अत्याचार किया था
लेकिन फिर भी तुझसे निर्भया
जानवरों से बततर व्यवहार किया था,
लेकिन बहना तू अब मत रोना
उन दरिंदों का भी बुरा हाल हुआ है
लंबा वक़्त जरूर लगा पर
उनको भी मौत से मिलवाया गया है,
बचने की कोशिश सात साल तक
कड़ी मेहनत से वो करते आए
कानून से विश्वास उठा जो
फिर से आज जग आया है
फांसी पर लटकाकर उनको,
निर्भया तुम्हे आज,
न्याय मिल पाया है।