...

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kya mai tayar hun?
कुछ लिखने को दिल चाह रहा है,
लेकिन नजाने क्यों आज शब्द कम पड़ रहे हैं।
जिंदगी के इतने बड़े मोड़ पे,
आज मेरे जज़्बात कुछ उलझे से लग रहे हैं।
ज़ेहेन में सवालों का बवंडर,
वक्त के साथ नए करवट ले रहे हैं।
कदम बढ़ा तो चुकी हूं इस अंजाने राह के तरफ,
क्या मैं तैयार हूं इस नए बदलाव के लिए मगर?
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