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मां ब्रह्मचारिणी
गौरवर्णा ब्रह्मरूपा,
तपश्चारिणी स्वरूपा।
पुष्पालंकार भूषिता,
मन को संवारों माँ।।
पंचदशी षोडशी हो,
शिव भामिनी हो तुम।
भक्तों पर विपदा के,
कष्ट से उबारों माँ।।
ज्योतिर्मय स्वरूपा,
तपश्चारिणी त्रिरूपा।
अज्ञान अंधकार को,
ज्ञान से प्रहारों माँ।।
ब्रह्मचारिणी हो तुम,
शुद्ध आचरण दे दो।
अशुद्ध आचरण के,
दुष्टों को संहारों माँ।।
© सिंहनाद
तपश्चारिणी स्वरूपा।
पुष्पालंकार भूषिता,
मन को संवारों माँ।।
पंचदशी षोडशी हो,
शिव भामिनी हो तुम।
भक्तों पर विपदा के,
कष्ट से उबारों माँ।।
ज्योतिर्मय स्वरूपा,
तपश्चारिणी त्रिरूपा।
अज्ञान अंधकार को,
ज्ञान से प्रहारों माँ।।
ब्रह्मचारिणी हो तुम,
शुद्ध आचरण दे दो।
अशुद्ध आचरण के,
दुष्टों को संहारों माँ।।
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