गुजरे दिन...
फुर्सत ही कहां अब किसी को,
जो हमारा जिकर करे।
करवट ले चुका वक्त यहां,
क्या कोई फिकर करे।।
सोचता हूं कि भूल मेरी क्या थी?,
जो, लोग मुझे यूं भूल गए।
वाकई क्या मैं इतना बुरा हूं?,
जो,लोग गूलर...
जो हमारा जिकर करे।
करवट ले चुका वक्त यहां,
क्या कोई फिकर करे।।
सोचता हूं कि भूल मेरी क्या थी?,
जो, लोग मुझे यूं भूल गए।
वाकई क्या मैं इतना बुरा हूं?,
जो,लोग गूलर...