...

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प्रकृति
प्रकृति तू रहम कर ...
किस हक से कहे ये हम...
जब करनी थी रक्षा तो कोई न आया मदद करने को ।।
अब जब बरसा है कहर सब गुहार लगा रहे इनकी ममता को।।
जब सब सकुशल था तब कुचल दिया प्राकृतिक स्वरूप ।।
अब समझ के क्या फायदा जब दिखा है इसका रौद्र रूप ।।
ये कहर बरसाना भी जरूरी था ।।
माँ को ममता से परे होना भी जरूरी था ।।
करोगे अगर सत्कर्म तो ये कहर दुबारा ना आएगी ।।
और एक बार फिर माँ की ममता लौट आएगी ।।

© Ritika Rani 😊