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पराई पीड़
कोई नहीं आयेगा,
जो तुझको समझेगा।
मौके तुझे पथ देंगे,
खुद ही तलाशने होंगे।
चाहे हो कठिनाई,
न देना कभी भी दुहाई।
तीव्र रखें सदा वेग,
ले नम्रता का संग नेग।
सब्र की कर सवारी,
खेलो जीवन की पारी।
पैरों में अटके शूल,
निकालो समझके फूल।
बांट ले पराई पीड़,
रहे ध्यान न उजड़े नीड़।
किला करिए फतह,
रह के पृथ्वी की सतह।
© Navneet Gill
जो तुझको समझेगा।
मौके तुझे पथ देंगे,
खुद ही तलाशने होंगे।
चाहे हो कठिनाई,
न देना कभी भी दुहाई।
तीव्र रखें सदा वेग,
ले नम्रता का संग नेग।
सब्र की कर सवारी,
खेलो जीवन की पारी।
पैरों में अटके शूल,
निकालो समझके फूल।
बांट ले पराई पीड़,
रहे ध्यान न उजड़े नीड़।
किला करिए फतह,
रह के पृथ्वी की सतह।
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