...

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प्रेमधुन
कर्ण के समान लघु किन्तु
उनको एकत्रित करके बनी
मधु सी मीठी
तुम्हारी मुस्कान
मेरी आत्मा के कोने कोने में
संचार करती है
अनंत प्रेम धुन का
जिसकी उत्पति कभी
सीता की करुण पुकार - राम
से अनुभव होति
तो कभी उसका उदगम
प्रतीत होता है मीरा का पवित्र हृदय

सुरभि त्रिपाठी
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