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नार उड़ीके ( Rajasthani geet )
हे.... थारी नार उड़ीके ,
हो....थारी नार उड़ीके बालम जी कद घरा ने आवोला 2
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कहता - कहता बालम जी थानै बरस बित गया चार
काया म्हारी सुखण लागी कर - कर इंतजार
सांची - सांची कहद्यो म्हानै 2, कतरा बरस लगावोला
थारी नार उड़ीके ,
हो....थारी नार उड़ीके बालम जी कद घरा ने आवोला 2


सासु खोडली मेरी नणदूली भी डांटैैै
किण सागै गौरीडी थारी दुखड़ो अपणो बांटै
पाड़ोसण हिवड़े अग्न लगावे 2, कदसी आर बुझावोला
थारी नार उड़ीके ,
हो....थारी नार उड़ीके बालम जी कद घरा ने आवोला 2


म्हँ तड़पू साहबा जय्या जल बिन तड़पे मीन
नहीं सुहावे सर्प बिना सर्पणी ने बीन
जोबनियो म्हारों ऐळो जावे 2, क्याकि प्रीत निभावोला
थारी नार उड़ीके ,
हो....थारी नार उड़ीके बालम जी कद घरा ने आवोला 2

© Kiran Kumawat