...

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खतम हमने कर दिया
नाम रिश्ते का जब,
नाम का रह गया।
दिल ही में दिल की चाहत ,
दफ़न हमने कर दिया।

वो इश्क़ में जज्बाते वफ़ा,
करने की मजबूरियां।
शुरू तुमने किया था,
खतम हमने कर दिया।

मेरे कहने पे कहना तुम्हारा सनम,
मेरे रहने पे रहना तुम्हारा सनम,
फ़ोन के उस तरफ झेलना यूँ मुझे,
शुरू तुमने किया था,
खतम हमने कर दिया।

दिखती थीं खामियाँ,
प्यार दीखता ना था।
मेरी मजबूरियों से,
तुमको वास्ता ना था।
मुझे मुझसे जुदा करने की तकल्लूफ सनम,
शुरू तुमने किया था,
खतम हमने कर दिया।

तुमको भी चाहना,
खुद को भी चाहना।
मैं समझदार था,
था मुझे ही समझना।
मेरे रिश्ते में मेरा ही होना दोनो तरफ,
शुरू तुमने किया था,
खतम हमने कर दिया।

© Ritesh Singh