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मैं एक शून्य निराकार हूँ
ना रसखान सा महान हूँ,
ना सूरदास सम ईश्वर का उपकार हूँ
ना मैं कलम का धनी हूँ,
ना मैं कमाल का फ़नकार हूँ।
मिट्टी में लिपटा हुआ,
मैं एक अदना सा कुम्हार हूँ।
फूल पत्तियों से रंग चुराने वाला,
एक टूटी कूँची वाला चित्रकार हूँ।
टूटी फुट्टी शब्द पिरोने वाला,
मैं एक तुक्ष सा कलमकार हूँ।
प्रेम गीत गाने वाला,
मैं एक शून्य निराकार हूँ।
ना सूरदास सम ईश्वर का उपकार हूँ
ना मैं कलम का धनी हूँ,
ना मैं कमाल का फ़नकार हूँ।
मिट्टी में लिपटा हुआ,
मैं एक अदना सा कुम्हार हूँ।
फूल पत्तियों से रंग चुराने वाला,
एक टूटी कूँची वाला चित्रकार हूँ।
टूटी फुट्टी शब्द पिरोने वाला,
मैं एक तुक्ष सा कलमकार हूँ।
प्रेम गीत गाने वाला,
मैं एक शून्य निराकार हूँ।
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