...

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सफ़र (२)
जो हो चुका उसमें रो चुके ,
जो हो रहा इसमें खुद को रोने ना दे,
जो होने वाला है उसे बेहतर बना,
खुद को कल में थोड़ा हस लेने दे।


कोई एक छूटा तो जग छूटा, क्यों है तु इस अंधेरे में
खुद को खुद में ही ढुंढ ले, यह एक नया सफर है।
© Shreya tiwari