हे! खुदा मेरा क्या कसूर था...
हे! खुदा मेरा क्या कसूर था,
कि तुमने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया ,
छीन के मेरा सब कुछ क्यों मुझे अपनो से दूर कर दिया,
हे! खुदा आखिर क्या कसूर था,
मेरा जो तुमने मेरी मुस्कान को उदासी मे बदल दिया,
आखिरकार ऐसा कौनसा गुनाह क्या,कि तुमने मेरा सब कुछ छीन...
कि तुमने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया ,
छीन के मेरा सब कुछ क्यों मुझे अपनो से दूर कर दिया,
हे! खुदा आखिर क्या कसूर था,
मेरा जो तुमने मेरी मुस्कान को उदासी मे बदल दिया,
आखिरकार ऐसा कौनसा गुनाह क्या,कि तुमने मेरा सब कुछ छीन...