...

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जब मैं ,मैं ना रहा
जब हमारी खुशी का वजह हम से न हो तो हम रिश्तों में ज़रूरी होने लगते है ,उन रिश्तों की जरूरत होने लगते है ।
जब खुशी भी हमारी हो उस खुशी का वजह भी हम हो तो हमारे लिए रिश्तों के मायने सिर्फ जरूरत होने लगते है।
जरा गौर फरमाए जनाब
इस कलयुग में ये भी एक काला सत्य है की हमारे लिए हर रिश्ता जरूरी हों ये जरूरी नहीं।
कुछ रिश्ते जरूरत भर के ही रह जाते है जब हमारे उन रिश्तों में होने के मायने उन रिश्तों में कही खो जाते है।
तभी तो हमें...