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सुनों रे ! कलियों
सुनों रे ! कलियों....., खिलों रे ! सखियों.....
कृष्णार्पण हेतु, तुम्हारा इंतज़ार है!
मंगल दिवस आज एकादशी का,
मेरे प्रभु का तो आज वार है!
धैर्य धरें मैं कंरू‌ रे प्रतीक्षा,
खिलों तुम और कंरू मैं अर्पण,
चरणारविन्द में मेरे गिरवर के,
धन्य हो जाऐगा तुम्हारा समर्पण !
सुनों रे ! कलियों....., खिलों रे ! सखियों.....
कृष्णार्पण हेतु, तुम्हारा इंतज़ार है!

©Mridula Rajpurohit✍️
🗓️ 12May, 2022
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उपरोक्त पंक्तियां स्वत: ही बनती गयी, जब सुबह -सुबह...