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सुनों रे ! कलियों
सुनों रे ! कलियों....., खिलों रे ! सखियों.....
कृष्णार्पण हेतु, तुम्हारा इंतज़ार है!
मंगल दिवस आज एकादशी का,
मेरे प्रभु का तो आज वार है!
धैर्य धरें मैं कंरू‌ रे प्रतीक्षा,
खिलों तुम और कंरू मैं अर्पण,
चरणारविन्द में मेरे गिरवर के,
धन्य हो जाऐगा तुम्हारा समर्पण !
सुनों रे ! कलियों....., खिलों रे ! सखियों.....
कृष्णार्पण हेतु, तुम्हारा इंतज़ार है!

©Mridula Rajpurohit✍️
🗓️ 12May, 2022
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उपरोक्त पंक्तियां स्वत: ही बनती गयी, जब सुबह -सुबह उठते ही मैं अपने पोर्टुलाका के पौधे में पानी डालने पहुंचीं, एकादशी के पावन दिवस पर हम कृष्णभक्तों के मन में हरे कृष्ण महामंत्र जप सहित कृष्ण कृपा भावनाओं की गंगा बहना सहज है, ऐसे में इन कलियों को देख बस यहीं ख्याल आया कि, हे प्रभु! ये आज ही खिल जाएं और मेरे हाथों से लगे फूलों को ही मैं आज आपको समर्पित कंरू!
और मेरे कृष्ण की अद्भुत कृपा देखिए.....
कुछेक दो-ढ़ाई घंटों के भीतर ही, दो श्वेत पुष्प इन कलियों से फूट पड़े, जो एक मेरे कृष्ण को और एक कृष्णप्रिया श्री तुलसी जी को मैं अर्पण कर पाई ! एकादशी की सभी वैष्णव जन को हार्दिक शुभकामनाएं! जय श्री कृष्ण! 🙏
💫हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे,
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 💫

#ekadashi #krishna