कभी कभी मैं बिलकुल अकेला रहना चाहता हूं।
कभी कभी मैं बिलकुल अकेला रहना चाहता हूं,
बहुत कुछ कहना है मगर चुप रहना चाहता हूं।
मन में उठ रही लहरों से,
ख्वाहिशों के शुलगते शहरों से,
भीतर दबे अल्फाजों से बात करना चाहता हूं।
किसी बस या ट्रेन...
बहुत कुछ कहना है मगर चुप रहना चाहता हूं।
मन में उठ रही लहरों से,
ख्वाहिशों के शुलगते शहरों से,
भीतर दबे अल्फाजों से बात करना चाहता हूं।
किसी बस या ट्रेन...