...

7 views

आखिर क्या है ये जिंदगी
तन्हा अकेले चलते- चलते
जिन्दगी कि धुप छाँव से लङते- जुंझते
एक सवाल मन में आता है
जिन्दगी,,,,,,,,क्या है ये जिन्दगी?

कई किताबें पढी, बहुत सोचा
पर कुछ समझ में नही आता
कि आखिर है क्या ये जिन्दगी ??

इसे जितना सुलझाओ
उतनी उलझ सी जाती है
कभी खुशिया इतनी
कि आँख भर आती है
तो कभी दर्द इतना
कि जिन्दगी बोझ बन जाती है !

तो क्या आंसु है ये ज़िन्दगी या ,,,,,दर्द??
दर्द .......हां दर्द ही तो हैं ये ज़िन्दगी !
दर्द की वजह है ये ज़िन्दगी
जिन्दगी न होती तो रिश्ते न होते,
रिश्ते न होते तो हम उनसे
इस कदर  जुड़े न होते
कि वे हमे दर्द दे,
गर जुड़े न होते
तो किसी दर्द का अह्सास न होता,
गर अह्सास न होता
तो मन यूं उदास न होता,
तो एक खुशी के लिए
हम यूं संघर्ष न करते!!

तो क्या संघर्ष है ये जिंदगी ??
हां.....संघर्ष ही तो है ये जिंदगी!
वो संघर्ष जो एक मरता हुआ इंसान
जिने के लिए करता है ,
वो संघर्ष जो एक हारता हुआ खिलाड़ी
जितने के लिए करता है,
कोई हर मुश्किल से लड़ जाता है
ये सोचकर कि आने वाला कल अच्छा होगा,
कठिन से कठिन रास्तो पर चल पड़ता है
ये सोच कर कि मंजिल पर पहुंच कर
सब अच्छा होगा,
उम्मीद लिए जिने कि,
जितने कि,
बेहतर कल लाने कि,
मंजिल को पाने कि,
हर पल संघर्ष करते हैं
थाम के उम्मीद का दामन !

उम्मीद..... तो क्या उम्मीद है ये जिंदगी ??
हां.....उम्मीद ही तो है ये जिंदगी !
जो दर्द मे भी मुस्कूराने की,
हर मुश्किल से लड़ जाने की,
कितना भी पथरीला हो रास्ता
उस पर चलते जाने की,
ये उम्मीद हीं तो हैं ,
जो हौसला देती हैं,
तुफानो से भी कश्ती निकाल लाने की!!

फिर लगा क्या ये हौसला हैं ये जिंदगी ?
हां.....हौसला ही तो है ये जिंदगी !
हर सुबह सोचते हैं
कि आज बीते कल से बेहतर होगा,
ये सोच कर रोज चलते हैं, गिरते हैं,
गिरकर फिर उठते है, संभलते है ,
हर शाम थक कर बैठ जाते हैं,
फिर सोचते हैं आने वाला कल बेहतर होगा,
हर सुबह यही सोच कर फिर निकल पड़ते है!

बहुत सोचा पर समझ नही आया ,
आखिर क्या हैं ये जिंदगी,
दर्द, संघर्ष, उम्मीद, हौसला ?
सुप्रभात 🙏
© Good girl♥️