...

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“मुझे नहीं चाहिए”
मुझे नहीं चाहिए तुमसे वादा कोई
नहीं रखना प्यार का इरादा कोई
बस जब भी मैं उदास हो जाऊं
तो बाहों में अपनी बुला लेना।

मुझे नहीं चाहिए तुमसे आलीशान ज़िंदगी
नहीं रहना महलों की रानी की तरह
बस जब भी मुझे भूख न रहे
तो अपने हाथों से खिला देना।

मुझे नहीं चाहिए कपड़े महंगे ज़ेवर
नहीं ख्वाहिश सजने संवरने की
बस जब कभी हो मेरा मन सजने का
तुम मेरा गहना बन जाना।

मुझे नहीं चाहिए प्रेमिका का हक
नहीं देना किसी गुलाब की महक
बस जब कभी चेहरे पर हंसी न हो
तुम मेरी मुस्कान की वजह बन जाना।

मुझे नहीं चाहिए सात जन्मों का साथ
नहीं काटूंगी कभी तुम्हारी बात
बस जब मुश्किल में पाऊं खुद को
तुम उस वक्त मेरा साथ निभाना।

मुझे नहीं चाहिए मेरे सपने पूरे करो
नहीं इच्छा मेरी कोई आरज़ू अधूरी रखो
बस जब दिल करे तुमसे मिलने का
सबकुछ छोड़ कर पास आ जाना।

मुझे नहीं चाहिए तुम हर वक्त खुश रखो
नहीं उम्मीद की मुझे कभी न रुलाओ
बस जब रोने का दिल करे बहुत
तुम रोने को अपना कंधा मुझे दे देना।

मुझे नहीं चाहिए तुमसे तुम्हारा वक्त
नहीं लगाऊंगी तुम्हें बेवजह पुकार
बस जब कभी दिल करे इंतज़ार
तुम वो पल मेरे नाम कर जाना।

© ढलती_साँझ