मानवता 1
जानवर और मनुष्य
दोनो इक दूजे के समीप कब आते हैं,
जब दोनो ही अपनी अपनी बस्ती में,
निर्मोही निर्दयी पापी लोगो से सताए जाते हैं ॥
कि नही अब इस मतलबी जहाँ में खोजने सुख वो जाते हैं,
बावरे इक दूजे के समीप आ निस्वार्थ मोह में ही खोते चले जाते हैं
दोनो इक दूजे के समीप कब आते हैं,
जब दोनो ही अपनी अपनी बस्ती में,
निर्मोही निर्दयी पापी लोगो से सताए जाते हैं ॥
कि नही अब इस मतलबी जहाँ में खोजने सुख वो जाते हैं,
बावरे इक दूजे के समीप आ निस्वार्थ मोह में ही खोते चले जाते हैं