"राम सा संघर्ष"
कूल प्रकृति उतनी जटिल है
जिजीविषा जितनी अटल है
राम के संघर्ष जितना
संघर्ष कोई कर सका है।।
त्याग करके राज को
वनवास भव का भोगते थे
आह! हृदय की विकलता
और पग- पग की विफलता
कौन ऐसा देव- दानव ?
आधान शमन कर सका है
राम के संघर्ष जितना
संघर्ष कोई कर सका है।।
नियति कर से काल छूटे
दुर्भेद्य भीषण तिमिर का
विरह का पाषाण ऐसा
जिसका नहीं था अन्त- आरम्भ।
भेदना था लक्ष्य फिर भी
मुस्की अधर में वेदना हिय
सहर्ष कोई कर सका है।
तिमिर उसी से जन्मता
वो ही तिमिर से था घिरा
चलता रहा प्रत्येक क्षण
फिर भी वहीं ठहरा रहा
हाय ये विडंबना वो, विडंबना कठोर थी
संसार जिसको जप रहा है
वो प्रथक संघर्ष में तपा है।
राम के संघर्ष जितना
संघर्ष कोई कर सका है।।
-अवनि..✍️✨