KUCH HO JATA HAI
किसी का किसी से, कुछ कुछ हो जाता है
जब मिलती है,नजरें,तो सब कुछ हो जाता है
क्या बताएं है,कैसा फिर सुरूर उनकी आखों का,
उनके होठ जो दिख तो जाए तो बहुत कुछ हो जाता है
वो गुजरती है, जब घर की चौखट से शर्मा कर,
उनके थोड़ी से मुस्कुराने पर क्या कुछ हो जाता है
फिर वो गुस्से में जिस दिन बात नही करती है,
बुखार से लेकर घबराहट इतना कुछ हो जाता है
वो कहती है,करते नही मिश्रा तुम मोहब्बत हमसे,
उसको कोई कुछ कह दे तो कितना कुछ हो जाता है
© Mayank Pratap Mishra
जब मिलती है,नजरें,तो सब कुछ हो जाता है
क्या बताएं है,कैसा फिर सुरूर उनकी आखों का,
उनके होठ जो दिख तो जाए तो बहुत कुछ हो जाता है
वो गुजरती है, जब घर की चौखट से शर्मा कर,
उनके थोड़ी से मुस्कुराने पर क्या कुछ हो जाता है
फिर वो गुस्से में जिस दिन बात नही करती है,
बुखार से लेकर घबराहट इतना कुछ हो जाता है
वो कहती है,करते नही मिश्रा तुम मोहब्बत हमसे,
उसको कोई कुछ कह दे तो कितना कुछ हो जाता है
© Mayank Pratap Mishra