दहेज प्रथा
एक पिता मजबूर है,
हाथ जोड़ना भी उसको कबूल है।
दूसरा गरूर से चूर है,
हाथ खुले है,
फिर भी पैसों का सुरूर है।
इनको तो बस प्रथाओं की प्रथा दहेज प्रथा का ही...
हाथ जोड़ना भी उसको कबूल है।
दूसरा गरूर से चूर है,
हाथ खुले है,
फिर भी पैसों का सुरूर है।
इनको तो बस प्रथाओं की प्रथा दहेज प्रथा का ही...