वोहं प्रेम ही क्या........
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी रुलाया न हो...
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी ज़िन्दगी भर का सुख एक ही क्षण में न दी हो....
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी भिचड़ने से विवश कर न दी हो....
वोहं प्रेम की क्या जो आपको कभी किसी और के साथ रहते हुए भी उन्ही की याद दिलाया न हो.....
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी ज़िंदा रहने की वजह न दी हो.....
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी मौत निकट आने पर भी हर सांस को किसी और के लिए जोड़ना चाहने न हो...
और वोहं प्रेम ही क्या जो मरने के बाद भी कभी आंत न हो।।
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी ज़िन्दगी भर का सुख एक ही क्षण में न दी हो....
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी भिचड़ने से विवश कर न दी हो....
वोहं प्रेम की क्या जो आपको कभी किसी और के साथ रहते हुए भी उन्ही की याद दिलाया न हो.....
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी ज़िंदा रहने की वजह न दी हो.....
वोहं प्रेम ही क्या जो आपको कभी मौत निकट आने पर भी हर सांस को किसी और के लिए जोड़ना चाहने न हो...
और वोहं प्रेम ही क्या जो मरने के बाद भी कभी आंत न हो।।
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