Poem for me!
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रिश्ते कई देखे मैंने
कुछ खुश कुछ उदास है
सब रिश्तों में बहनो से रिश्ता
थोड़ा नटखट तोड़ा खास है
माना माँ बहुत प्यार है देती
कभी-कभी मार भी देती
भाई मैं हूँ न तेरे साथ
यह सिर्फ एक बहन ही कहती
थोड़ा प्यार थोड़ा झगड़ा
उसका हाथ लगे बड़ा तगड़ा
फिर भी लाड़ लड़ाती है
रूठे हम तो हमको मनाती है
कभी खुद भी रुठ ही जाती
कभी जीभ निकाल चढ़ाती
माँ से कभी करे शिकायत
कभी पापा से भी बचाती
माँ जैसा ख्याल वह रखती
बंदर कह कर...
रिश्ते कई देखे मैंने
कुछ खुश कुछ उदास है
सब रिश्तों में बहनो से रिश्ता
थोड़ा नटखट तोड़ा खास है
माना माँ बहुत प्यार है देती
कभी-कभी मार भी देती
भाई मैं हूँ न तेरे साथ
यह सिर्फ एक बहन ही कहती
थोड़ा प्यार थोड़ा झगड़ा
उसका हाथ लगे बड़ा तगड़ा
फिर भी लाड़ लड़ाती है
रूठे हम तो हमको मनाती है
कभी खुद भी रुठ ही जाती
कभी जीभ निकाल चढ़ाती
माँ से कभी करे शिकायत
कभी पापा से भी बचाती
माँ जैसा ख्याल वह रखती
बंदर कह कर...