...

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कोन हो तुम

अगर पूछा है तो इतना बता दूं
कि आखिर कौन हो तुम
मेरे हर गीतों मे हर शब्दों में
समाहित हो तुम
मेरे विरह की दहकती अग्नि में हो तुम
मेरे जज्बात में हो तुम
मिलन के अथाह प्रेम में हो तुम
मेरे ख्यालात में हो तुम
कभी आधा अधूरा हर्फ हो तुम
कभी पूर्ण विराम हो तुम
अगर में चलता हूं
तो मेरे चहल कदमों में हर कदम साथ हो तुम
कभी दहकती आग हो तुम
कभी बहता पानी हो तुम
कभी शांत सरोवर हो तुम
कभी गागर में सागर हो तुम
कभी उफान मारती नदी हो तुम ,,
उम्र भर का सोज हो तुम
चंद शब्दों में कैसे दास्तान समाहित कर लूं
कि आखिर कौन हो तुम,,,
© jitensoz