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अनकहे ज़ज़्बात...
ये जो मैं अपने लफ़्ज़ों में
दर्द की ज़ुबानी लिखता हूँ,
दरअसल मैं अपनी ख़ामोश
आँखों का पानी लिखता हूँ,,,
कुछ शामिल होती हैं इसमें
औरों की हक़ीक़तें भी,
कुछ अपनी अधूरी ख्वाहिशों
की कहानी लिखता हूँ,,,
मैं जानता हूँ खत्म हो रहा है
वजूद मेरा आहिस्ता-आहिस्ता,
इसलिए ऐ मौत तेरे नाम मैं
अपनी सारी ज़िन्दगानी लिखता हूँ!
© Ali
दर्द की ज़ुबानी लिखता हूँ,
दरअसल मैं अपनी ख़ामोश
आँखों का पानी लिखता हूँ,,,
कुछ शामिल होती हैं इसमें
औरों की हक़ीक़तें भी,
कुछ अपनी अधूरी ख्वाहिशों
की कहानी लिखता हूँ,,,
मैं जानता हूँ खत्म हो रहा है
वजूद मेरा आहिस्ता-आहिस्ता,
इसलिए ऐ मौत तेरे नाम मैं
अपनी सारी ज़िन्दगानी लिखता हूँ!
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