" ये क्या हुआ"
अनजान सी थी एक राह नई,
मैं पथिक बनकर बस चलता गया,
वो चांद बनकर आसमा में चमकता रहा,
मैं सूरज बनकर बस ढल सा गया,
मैं हारा नहीं...
मैं पथिक बनकर बस चलता गया,
वो चांद बनकर आसमा में चमकता रहा,
मैं सूरज बनकर बस ढल सा गया,
मैं हारा नहीं...