...

1 views

गृहिणी
गृहिणी

गृहिणी शब्द अपने आप में ही बहुत कुछ कह जाता है,
गृहिणी जिसके बिना घर घर नही लगता।
सूरज के उगने से पहले वो उठ जाया करती है,
मानो उसके उठने के बाद ही घर में सभी की सुबह होती है,
गृहिणी सिर्फ़ घर की नही बल्के बाहर की जिम्मदारियों को भी बखूबी निभाती है,
और ये सब कुछ वो निःस्वार्थ भावना से करती रहती है,
बदले में चाहती है सबका अपनापन और सम्मान,
पर जब कभी कोई उसे कहता है की पूरे दिन घर में करती क्या हो,
तुम्हें तो घर में आराम से खा-पीकर जलसे करने होते है,
तब उसका मासूम बच्चा सा दिल छलनी हो जाता है,
बच्चे कितने भी बड़े हो जाए पर उसके पास वो उतने ही छोटे रहते है,
निरंतर बिना थके हारे वो पूरा दिन सबकी ख़ुशियों के बारे में सोचती रहती है,
और सबका ख़्याल रखा करती है।
आज लोग मॉर्डन होते जा रहे है,
गृहिणी के कार्य का सम्मान करने लगे है ,
तो गृहिणी की जगह होममेकर कहकर पुकारते है,
कभी कभी रात को जब खुद के लिए सोचती है तो आँखें नम भी हो जाती है,
क्यूँकि उसने अपने सपनों को जलाकर उसकी चिलमन से ये आशियाँ बनाया है।
पर सुबह उठकर फिर से अपनी मुस्कान से पूरे घर के लोगों के लबों पे मुस्कान बिखेर देती है।

निशा शेठ