...

10 views

तेरा मेरा रिश्ता
तेरा मेरा रिश्ता कैसा है
जितने दूर है उतने पास नज़र आता है
क्यों जब भी किसी राह से गुजरूँ
तेरा ही ख्याल आता है

कभी तेरी यादें रूला देती है
कभी तेरी यादें खुशियाँ देती है
कभी तेरी यादें बैचेन कर देती है
कभी तेरी यादें सुकून देती है
मेरा हर इक पल तेरी मोहब्बत से रोशन होता है
मेरी तन्हाई में, मेरी अकेली रातों में
मेरी हर इक बातों में
मेरे अहसासों में
मेरी किताबों में
मेरेे खवाबों में
तू ही तो होती है

जब तू छत पर नज़र आती है
मैं दौड़ा चला आता हूँ
तेरी सादगी से भरे चहेरे में
न जाने क्या है सनम
मैं तेरा हो जाता हूँ

मैंने तेरी राह में इक पूरी जिंदगी गुज़र दी है
तेरे आने की इक खबर से पागल हो जाता हूँ
नाम तुम्हारा नहीं जानता
फिर क्यों तुम्हे राधा बुलाता हूँ

कैसा रिश्ता है तेरे मेरे दरमियाँ
क्यों मैं तुम्हें देखकर सब कुछ भूल जाता हूँ
कोई तो बंधन है सदियों का
तेरी इक झलक के सहारे सारी जिंदगी गुज़र देता हूँ

हकीकत में तो नहीं मिलती
खवाबों में उसे रोज़ गुलाब देता हूँ
जब मुझे रब की इबादत करने होती है
उसके मेंहदी भरे हाथों को चुम लेता हूं

मैं हर मोड़ पर उसकी ही तमन्ना करता हूँ
जैसे मेरी सांसों की डोर है वो
मैं हर मौसम में आगे बढ़ता रहता हूँ
मेरा हौसला है वो
जो मेरे ख्यालों में लिखी खूबसूरत गज़ल है वो

जिंदगी में उसकी यादों से
सुबह होती है
मेरी तकदीर है वो
जो मैं उससे कह न सका वही बात है वो




© All Rights Reserved