आधे रास्ते से लौट आए तुम?
आधे रास्ते से लौट आए तुम,
आख़िर क्यूँ??
क्या घबरा गये थे तुम,
क्या डर गए थे तुम।
क्या नहीं देखा? तुमने,
रास्ते में मेहनत
करती चीटीं को।
क्या नहीं देखा? तुमने,
दीवाल पर चढती बार-बार,
फिसलती मकड़ी को।
क्या नहीं देखा? तुमने,
चलने की कोशिश
करते उस बच्चे को,
हर बार गिर कर भी जो
फिर...
आख़िर क्यूँ??
क्या घबरा गये थे तुम,
क्या डर गए थे तुम।
क्या नहीं देखा? तुमने,
रास्ते में मेहनत
करती चीटीं को।
क्या नहीं देखा? तुमने,
दीवाल पर चढती बार-बार,
फिसलती मकड़ी को।
क्या नहीं देखा? तुमने,
चलने की कोशिश
करते उस बच्चे को,
हर बार गिर कर भी जो
फिर...