...

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दौलत
दौलत का असर है साहब
कि ठोकरों में जो पड़े थे
वे बड़े-बड़े ठिकानों पर हैं
जो उसूलों के पाबंद थे
वो लतखोरों को
लिखे हैं अर्ज़ियाँ
कि रोटियाँ चलती रहें,
दौलत और रूप का घमंड
एक दिन तो उतरता ही है
वो जो लगाते थे बोलियाँ
कोई उन्हें कौड़ियों में नहीं पूछता।
© drajaysharma_yayaver